लोकतंत्र का मंदिर -संसद
लोकतंत्र का मंदिर भैया, संसद को सब कहते,
सभी पुजारी सत्तादल के, व्याभिचार यहाँ करते।
मंदिर की महिमा को सुन, नया पुजारी आया,
दरवाजे पर शीश नवाया, मोदी उसको कहते।
मंदिर की गरिमा क्या होती, आते ही समझाया,
बता दिया मंदिर में अब, पापी नहीं रह सकते।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन जल ही जीवन है - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteअच्छा है !
ReplyDeleteन्यू पोस्ट अनुभूति : क्या मोदी दूसरा मनमोहन होगा ?
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