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Sunday, May 11, 2014

muktak-kitani ghatiyaa ho gayi ab duniyaa ki soch

कितनी घटिया हो गयी, अब दुनिया की सोच,
कभी मनाया मातृ दिवस,पितृ दिवस की खोज।
करना सबका मान प्रतिपल, संस्कार हमारा,
पश्छिम जैसी एकदिवसीय नही हमारी सोच।


डॉ अ कीर्तिवर्धन

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