Pages

Followers

Monday, May 5, 2014

naa haath me chudi usake, naa maathe pe bindi

ना हाथ मे चूड़ी उसके,  ना माथे पे बिन्दी,
सिंदूर का सार ना जाने,ना जाने सभ्यता हिन्द क़ी,
गिरगिट की है  परम सहेली, रोज रंग बदलती,
दिल्ली में जींस पहन बातें अंग्रेजी मे,
अमेठी में साडी पहनकर बातेँ करतीं हिँदी।


डॉ अ कीर्तिवर्धन

No comments:

Post a Comment