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Saturday, June 28, 2014

satta aur saansad

सत्ता और सांसद ------

संविधान का कह रहे थे, जो खुद को संरक्षक,
देख रहा था सारा भारत, वही बने थे भक्षक।

तनख्वाह- भत्ते सब मिला, थे लाखों लेते रोज,
संसद में अनुपस्थित रहें, घर पर करते मौज।

सारे नेता तंग हैं, ख़त्म हुयी अब मौज,
सत्ता सुख को भूलकर, कार्य कर रहे रोज।

सौलह घंटे काम के, तनिक नहीं आराम,
निर्णय भी त्वरित लें, मोदी का फरमान।

नौकरशाहों को दिए, और अधिक अधिकार,
घर का मालिक कह दिया, मालिक है सरकार।

सत्ता के हो केंद्र तुम, निर्णय लो तत्काल,
निर्णय की होगी मगर, पहले यहाँ पड़ताल।

गोल्फ खेलना शौक था, क्लब जाते थे रोज,
कौन-कौन, क्या-क्या करे, होने लगी है खोज।

सोने की चिड़िया सदा, था मेरा भारत महान,
किस-किस ने लूटा इसे, देखेगा सकल जहान।


डॉ अ कीर्तिवर्धन

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