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Friday, July 11, 2014

muktak-ghunghat ki aut shahar aayi vo gaavn ki chhori

घूँघट की ओट शहर आई, वो गावँ की छोरी,
घूँघट बिसरा कर बन गयी, शहर की गौरी।
शर्मो-हया, संस्कार, सब गाँव की बातें बता,
आधुनिकता का प्रतीक बन गयी, वो छिछोरी।

डॉ अ कीर्तिवर्धन  

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