जान सके न ज्ञानी-ध्यानी, माया की माया कैसी,
कोई कहता चंचल हिरणी, कोई सत्ता की दासी।
काट काट कर पेट, कौड़ी-कौड़ी माया जोड़ी,
माया की बातों में आकर, माया को माया दे दी।
दलित-दलित चिल्लाने से, दलित विकास नहीं होगा,
केवल आरक्षण से भी कभी, दलित भला नहीं होगा।
देश को हाथी नहीं, हाथ को रोजगार चाहिए,
जाति की बैशाखी नहीं, शिक्षा का साथ चाहिए।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
दलित-दलित चिल्लाने से, दलित विकास नहीं होगा,
ReplyDeleteकेवल आरक्षण से भी कभी, दलित भला नहीं होगा।
देश को हाथी नहीं, हाथ को रोजगार चाहिए,
जाति की बैशाखी नहीं, शिक्षा का साथ चाहिए।
सटीक सार्थक रचना !
सावन का आगमन !
: महादेव का कोप है या कुछ और ....?
बेहतरीन ...
ReplyDeleteबेहतरीन ...रचना !
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