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Tuesday, September 23, 2014

KAUN PITA AUR KAUN HAI MATA

यह पंक्तियाँ उन महानुभावों के लिए जो न तो अपने माता-पिता का सम्मान करते और न ही भगवान के प्रति आस्था रखते हैं ------

कौन पिता और कौन है माता, कैसा उनसे रिश्ता- नाता,
निज स्वार्थ में करते पैदा, सोच रहे क्यों ऐसा भ्राता ?
सूरज, चन्दा और सितारे, धरती, अम्बर और पठारें,
इन सबसे भी रिश्ता नाता, मानव आदर से दर्शाता।
गोबर का मतलब भी जानो, तुच्छ चीज का आदर जानो,
पत्थर को सम्मान दे रहे, प्रकृति का संरक्षण समझाता।
मूर्ख जन क्या समझ सकेंगे, भौतिकता में लिपट रहे जो,
पंच तत्व से भगवान बना, भू, गगन, वायु, अग्नि, नीर बताता।

डॉ अ कीर्तिवर्धन  

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