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Friday, September 19, 2014

kuchh baaten musalmaano ke liye bhi

जनाब अख्तर खान अकेला शमशाद अली जी की एक पोस्ट साझा की है, मेरा मानना कि जब तक हम मुल्क के गद्दारों के खिलाफ धर्म- बिरादरी से आगे बढ़कर  नहीं बोलेंगे, भारत में रहकर पाकिस्तान जिंदाबाद बोलेंगे, आतंकवादी को धर्म के नाम पर संरक्षण देंगे तब तक  हालत  सकते हैं। शमशाद  अली जी की पोस्ट का जवाब -

कुछ बात बुखारी की भी यहां पे बताते,
ओवैसी के बयान भी जनता को सुनाते।
कहता रहा डायन भारत माता को सदा से,
आज़म की औकात भी यहां पर दिखाते।
माना कि गरीबी में मुसलमान जी रहा,
बच्चे पैदा करने पर अंकुश तो लगाते।
सारे मुसलमां दहशतगर्द नहीं, सब जानते,
दहशतगर्दों के खिलाफ आवाज तो उठाते।
दे सकता हूँ तारीखवार गद्दारों की दास्ताँ,
गोधरा रामभक्तों पर कुछ आँसू तो बहाते।
दुनिया ने देखा अफगान में बुद्ध की मूर्ति तोड़ते,
शान्ति के पैगाम तुम्हे क्यों नहीं सुहाते ?
मारे गए  हजारों सिया मुसलमान बेगुनाह,
भारत के मुसलामानों को क्या नजर आते ?
मुंबई ने भी देखा था शहीद स्मारक को तोड़ते,
फतवा देने वाले वहां मुँह क्यों नहीं खोलते ?


डॉ अ कीर्तिवर्धन

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