निर्दोषों की ह्त्या पर कोई तो शोक मना लो,
गैरों के दुःख में झूठे ही सही, आँसू तो बहा लो,
इस्लाम में मजलूमों की ह्त्या गुनाह बताया है,
जालिमों के खिलाफ, कोई फतवा तो सुना लो।
आज बैठे बैठे यूँ ही ख्याल आया कि पाकिस्तान में 132 बच्चे मार दिए गए और अगले ही दिन ईराक में 150 महिलायें भी मौत के घाट उतार दी गयी। इन हादसों ने पूरी मानवता को झझकोर दिया और सभी देशों में इसकी निंदा भी की गयी। मगर मेरी चिंता का विषय यह है कि ज़रा ज़रा सी बात पर फतवा देने वाले, किसी भी आतंकवादी के पकड़े जाने पर चिल्लाने वाले, धर्म के नाम पर संसद में स्यापा पीटने वाले, फेस बुक पर हिंदुत्व को कोसने वाले सब के सब धर्मनिरपेक्ष लोग भी क्या इस हमले में मारे गए, क्या किसी को भी इतने मासूमों की मौत से कोई दर्द नहीं हुआ, तीन दिन से देख रहा हूँ सारे देश के बच्चे स्कूलों में मौन रख रहे हैं, चिंता कर रहे हैं --------
अच्छा अब समझा कि सारे धर्मनिरपेक्ष मौन साधना में चले गए हैं और इनका मौन तब टूटेगा जब किसी गैर मुस्लिम द्वारा किसी मुस्लिम के साथ कोई झगड़ा होगा अथवा कोई पुराना हिन्दू वापस हिन्दू धर्म अपनाएगा, अमेरिका-ब्रिटेन-आस्ट्रेलिया किसी आतंकवादी को पकड़ लेंगे ------
डॉ अ कीर्तिवर्धन
No comments:
Post a Comment