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Monday, February 23, 2015

jinda hona is jahaan me majboori nahi saadhana hai

जिन्दा होना इस जहां में, मजबूरी नहीं- साधना है,
किसी के काम आ सकूँ, यह जरुरी नहीं-कामना है।
अनायास जीना और शर्मिन्दा होकर मर जाना,
ख़ुदकुशी के बराबर पाप है, यह अपना मानना है।
जिन्दगी फाँसी का फन्दा, जो समझकर जीते यहाँ,
रौशनी में भी अन्धकार की, उनके मन में भावना है।
नकारात्मक सोच जब भी, जिसके मन को भा गयी,
जीते जी वह मर गया, ज्ञानियों का यह जानना है।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

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