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Friday, February 13, 2015

rajniti ka daur

काश ! राजनीति का यह दौर पहले आया होता,
“अवसरवादी” शब्द इतिहास में छाया होता।
दल बदलते नेताओं को देख सोच रहा हूँ,
कम से कम जयचन्द गद्दार तो न कहाया होता।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

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