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Wednesday, March 11, 2015

bhrashtaachaar

यह रचना 2011 में लिखी गयी थी, आज के सन्दर्भ में पुनः पढ़ें -----

सारे देश में भ्रष्टाचार, अब आम हो गया है,
दूध की रखवाली, बिल्ली का काम हो गया है।

दूध पीने की फितरत, बिल्ली की पहले से थी,
सुरक्षा में उसे बिठाना, संविधान हो गया है।

खाने लगी है बाड़ ही, जब से फसलों को खेत की,
फसलें उगाना अमन की, हलकान हो गया है।

वो ईमानदार हैं, इसमें संदेह  नहीं किसी को,
चोरों को संरक्षण भी, उन्ही का काम हो गया है।

जिन लोगों ऩे लूटा, मेरे देश का धन और मान,
उन्ही को बचाना, सरदार का काम हो गया है।

डॉ अ कीर्तिवर्धन



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