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Sunday, April 5, 2015

aandhiyaan bhi sang mere deep bhi sang me jalen

आँधियाँ भी संग में मेरे, दीप भी संग में जलें,
कुछ ख्वाब टूटे हुए, कुछ मुकम्मल बन चले।
रात -दिन ज्यों संग- संग, रहते सदा- सर्वदा,
मौत और जिंदगी का दर्शन, जीवन में मेरे पले।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

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