नीर को धीर कहाँ, चीर संग चाहिए,
मन भी अधीर यहाँ, ज्ञानी संग चाहिए ।
जीवन की नैया, बीच मझधार है ,
किसी खिवैया का, संग साथ चाहिए ।
संतोष का जाप कर, अधीरता मिटाइए ,
अहंकार को दूर भगा, विनम्रता अपनाइये ।
राम नाम सबसे बड़ा, उसी को गाइये ,
सारे संकटों को छोड़, पार उतर जाइये ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800
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