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Wednesday, April 15, 2015

roj roj marate hain magar marane se darate hain

रोज रोज मरते हैं, मगर मरने से डरते हैं,
हसीं ख्वाब मेरे, क्यूँ संवरने से डरते हैं।
उतरे नहीं नदी में, जो नहाने के वास्ते,
बीच नदी की भँवर में, फंसने से डरते हैं।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

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