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Friday, April 3, 2015

sharm o hayaa majboori nahi sanskaar hain



शर्म-ओ -हया मजबूरी नहीं, हमारे संस्कार है,
संस्कारों का पालन कमजोरी नहीं, व्यवहार है।
लूटना चाहे जो कमजोरी समझ, बतादो उसको,
नारी अबला नहीं है, वह दोधारी तलवार है।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

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