अकेले देशभक्त मोदी ने, तुम सबको हलकान किया,
कभी बताया तुमने गप्पी, फेंकूँ कह बदनाम किया।
चला जा रहा सहज चाल से, ज्यों मदमस्त चले हाथी,
एक वर्ष के अल्पकाल में, विश्व गुरु सा काम किया।
अस्त- व्यस्त हैं सभी विरोधी, कैसे हम प्रतिकार करें,
योग दिवस की परिकल्पना, दुनिया ने सम्मान किया।
लूट रहे थे निज देश को, जो भ्रष्टाचार के अनुयायी,
भ्रष्टाचार मुक्त भारत हो, शुरू स्वच्छता अभियान किया।
शिक्षा और स्वास्थ्य हो बेहतर, नहीं पूर्व में ध्यान दिया,
गाँव, प्रांगण, स्कूलों में, शौचालयों का निर्माण किया।
चोर, उच्चके, बेईमान, जो काला धन के संरक्षक थे,
घबरा रहे मोदी की ताकत से, इसीलिए बदनाम किया।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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