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Thursday, July 9, 2015

kuchh karun baaten puraani ---tanhaa

कुछ करूँ बातें पुरानी, कुछ नयी मैं कह रहा,
ज्यों निकल पर्वत से झरना, दरिया बन बह रहा।
हूँ तन्हां माना बहुत से,  गम भी मेरे पास हैं,
मुस्करा कर आगे बढ़ाना, लक्ष्य मेरा बस रहा।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

2 comments:

  1. आपकी इस पोस्ट को शनिवार, ११ जुलाई, २०१५ की बुलेटिन - "पहला प्यार - ज़िन्दगी में कितना ख़ास" में स्थान दिया गया है। कृपया बुलेटिन पर पधार कर अपनी टिप्पणी प्रदान करें। सादर....आभार और धन्यवाद। जय हो - मंगलमय हो - हर हर महादेव।

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  2. निरंतर चलना है जिंदगी हैं
    बहुत सुन्दर

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