Pages

Followers

Tuesday, August 12, 2008

तुम्हारी याद (१९७७)

एक एक क्षण बिना तुम्हारे
जैसे एक जन्म लगता है।
उलझन भरी प्रतीक्षाओं मे
जीवन एक बहम लगता है।
कभी कभी तो उम्र अचानक
लगती पूर्ण विराम हो गई ।
जब जब याद तुम्हारी आई
सारी नींद हराम हो गई.

No comments:

Post a Comment