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Tuesday, August 12, 2008

देश प्रेम (आज़ादी की चिंगारी ,अज्ञात कवि द्वारा )

१५ अगस्त के शुभ अवसर पर ,आज़ादी के संघर्ष की गुमनाम कवि द्बारा लिखी गई

झनाझन जंजीरें बज उठी
छिडी तसले पर तीखी तान
जेल की दीवारों को तोड़
चला बंदी का मादक गान ।
स्वयम मिट जाते जो वीर
न देते मातृ भूमि का मान
दिव्य शुभ मातृ यग m
धन्य बलिदान,धन्य बलिदान.

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