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Sunday, October 28, 2012

नहीं चाहिए दो गज जमीं,कुंचा ऐ यार में ,
कर देना हमें ख़ाक ,जहाँ भी जगह मिले,
राख मेरी हो सके तो , मेरे गाँव में लाना
कुछ गंगा में बहाना,कुछ खेत में मिलाना |
मिट्टी का पुतला था,मिट्टी में मिल गया
जीवन की हकीकत ,ज़माने को बताना |

डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800

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