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Saturday, October 27, 2012

jugnu

जुगनू
जुगनू रात भर चमकते है
अपनी उपस्थिति जताते हैं
मगर सूर्य के सम्मुख
सभी निस्तेज हो जाते हैं|
बहुत सारे जुगनू मिलकर भी
एक दीपक नहीं बन पाते हैं
भटके हुए किसी पथिक को
मंजिल नहीं दिखा पाते हैं |
जुगनू बनकर खुद की खातिर
अक्सर लोग जिया करते हैं
निज स्वार्थ में जीने वाले
 मंजिल नहीं बना करते हैं |
जो सूरज की किरणों सा फैले
वह तम दूर किया करते हैं
होते पथिक राह के लेकिन
मंजिल बन जाया करते हैं |
डॉ अ कीर्तिवर्धन 8265821800

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