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Sunday, October 14, 2012

lakshay

इंसान जब जीने का मकसद बना लेता है
किसी की चाहत को दिल में बसा लेता है
गम और खुशियों की परवाह कहाँ रहती है
प्यार को पाना ही लक्ष्य बना लेता है |
डॉ अ कीर्तिवर्धन
८२६५८२१८००

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