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Sunday, November 11, 2012

आँसू और जाम ---
आंसुओं का पैमाने से, कितना गहरा मेल है,
छलकने का बहाना ,दोनों का खेल है |

कभी गम मिटाने को, कभी ख़ुशी जताने को,
छलकते हैं दोनों हरदम,अपना अहसास जताने को |

छलकते हैं दुःख के आँसू,अक्सर मेरी तन्हाई में,
पैमाना भी पिया तन्हा ,यारों की रुसवाई में |

छलकाए थे जाम मैंने ,जब भरी महफ़िल में,
आँसू थे मेरी आँख में ,महबूब था दिल में |

डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800

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