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Sunday, November 4, 2012

चाहता हूँ लिखूं एक ग़ज़ल तेरी चाहत में
चाहता हूँ मिटा दूँ अपना वुजूद तेरी मोहब्बत में |
मैंने जब जब चाहा देखूं तेरे सपने
नींद ही न आई मुझे रातों में |
चाहता हूँ एक बार तेरा स्पर्श करना,
तेरी साँसों का अहसास,तेरे आँचल को छूना |
बाहों में भरकर तेरे नशीले जिस्म  को
संजोये थे जो ख्वाब उन्हें पूरा करना |
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800

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