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Sunday, November 4, 2012

रावण का अश्व शीश ---
अक्सर हम लोगों ने रामलीला के पश्चात् रावण दहन के समय रावण के शीश के साथ अश्व शीश भी देखा है, मगर मुझे इसका ज्ञान नहीं था की इसका क्या तात्पर्य है ,कुछ दिन पूर्व जबलपुर से मेरे मित्र द्वारा गजबेना अमर कीर्ति पुस्तक मुझे भेजी गई | इस पुस्तक में राज राजेश्वर कार्त्विर्यार्जुन यानि सहस्त्रबाहु जी का विस्तृत वर्णन है , उसी में मुहे यह जानकारी भी मिली है....
एक बार जल क्रीडा करते हुए सहस्त्रबाहु  के नर्मदा का जल रोक देने के कारण , रावण जो उस समय नर्मदा के किनारे पूजा के लिए बैठा था,उसकी पूजा में विघ्न हो गया | रावण ने अपनी ताकत के अहंकार में सहस्त्र बहु पर हमला बोल दिया | उस युद्ध में रावण पराजित हुआ और सहस्त्रबाहु ने उसे बंदी बना लिया |छः  माह बाद रावण के नाना ऋषि पुलस्त के कहने पर सहस्त्र बाहु ने रावण को कारगर से मुक्त किया ,और बदले में रावण ने सदा के लिए उसकी दस्ता स्वीकार की , उसी के प्रतीक स्वरुप रजा सहस्त्रबाहु ने रावण के दश शीश के व्बिच में अश्व शीश भी जोड़ दिया  |
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800

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