Pages

Followers

Thursday, November 22, 2012

नहीं रहते तुझसे जुदा,दिल में छुपाकर रखते हैं,
चाहते हैं चाहत से अधिक,ख्वाबों में सजाकर रखते हैं|
डरते हैं कहीं रुसवा न हो जाओ तुम ज़माने में,
अपने आंसू भी , सबसे छुपाकर रखते हैं |
डॉ अ कीर्तिवर्धन
८२६५८२१८००

1 comment: