जिंदगी को कुछ इस तरह जी रहा हूँ
पानी कि जगह बस आंसू पी रहा हूँ |
दर्द का हर लम्हा अजीज हो गया है,
दर्द को ही जिंदगी बनाकर जी रहा हूँ |
दर्द से नजदीकियां जब से बढ़ी हैं
ख़ुशी का हर कतरा बेगाना लग रहा है|
जिंदगी जब से मेरी तन्हा हुई है,
महफ़िल में भी विराना सा लग रहा है |
खुशियों ने हमको ठोकरें मारी बहुत,
महफिलों में सदा बेगाना सा रहा है|
तन्हाइयों ने इस तरह गले लगाया है,
बस उनसे ही रिश्ता पुराना लग रहा है |
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800
पानी कि जगह बस आंसू पी रहा हूँ |
दर्द का हर लम्हा अजीज हो गया है,
दर्द को ही जिंदगी बनाकर जी रहा हूँ |
दर्द से नजदीकियां जब से बढ़ी हैं
ख़ुशी का हर कतरा बेगाना लग रहा है|
जिंदगी जब से मेरी तन्हा हुई है,
महफ़िल में भी विराना सा लग रहा है |
खुशियों ने हमको ठोकरें मारी बहुत,
महफिलों में सदा बेगाना सा रहा है|
तन्हाइयों ने इस तरह गले लगाया है,
बस उनसे ही रिश्ता पुराना लग रहा है |
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800
No comments:
Post a Comment