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Tuesday, December 25, 2012

achchha nahi lagata

लगी हो इज्ज़त दाव पर जब मेरे देश की,
उत्सव मनाना तब मुझे अच्छा नहीं लगता |
अस्मत हुई है तार -तार सरे राह आज जब ,
सत्ता को शीश नवाना,मुझे अच्छा नहीं लगता |
आती नहीं है लज्जा जरा,सत्ताधीशों को आजकल,
इनका व्यवहार जरा भी , सच्चा नहीं लगता |
मौन रह ,लूट रहा देश को, जो सत्ता में बैठकर
शक्ल -सूरत से वह मुझे ,बच्चा तो नहीं लगता |
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800



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