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Tuesday, December 11, 2012

पढ़ने को भाषा तेरे मन की, मैं
आँखों के रास्ते दिल में उतर गया ,
चाहत थी पाने की प्यार के दो मोती,
तेरे स्पर्श से मैं कुंदन सा बन गया |
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800

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