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Thursday, December 6, 2012

ब्रह्म को जानता जो, ब्राहमण कहलाता था ,
दीन -हीन बना रहा, विप्र वह कहलाता था |
शिक्षा का प्रचार -प्रसार जिसका दायित्व था ,
मनुष्यों में श्रेष्ठ नर , वह ही कहलाता था |

परिभाषाएं बदल गई हैं वर्तमान दौर में,
जन्मना जाति से मनुष्य जाना जाता है |
नर श्रेष्ठ खो गए ,राजनीति के खेल में,
वोटों के गणित से ,मुल्यांकन किया जाता है |

डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800

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