मजदूर....
शाम के वक़्त
जब मजदूर लौटते हैं
अपने घरों की और
होता है उनके चेहरे पर
आत्मसंतुष्टि का भाव
मेहनत कर कमाने का |
मजदूर
भविष्य के बारे मे
अधिक नहीं सोचता |
वह
मेहनत करता है
कमाता है
सुख दुःख संग-संग जीता
आज और बस
कल के लिए|
मजदूर
नहीं करता पूजा प्रतिदिन
किसी भगवान की
कुछ पाने के लिए
वह करता है
धन्यवाद्
ईश्वर का
उसे काम देने के लिए|
मजदूर करता है पूजा
अपने इष्ट की
सम्पूर्ण समर्पित भाव से
वर्ष मे एक या दो बार
अवसर विशेष पर
और कर देता है
सब कुछ अर्पण
इष्ट देव के चरणों मे
आस्था के साथ
जो भी है उसके पास|
मजदूर
बहुत संतुष्ट होता है|
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800
शाम के वक़्त
जब मजदूर लौटते हैं
अपने घरों की और
होता है उनके चेहरे पर
आत्मसंतुष्टि का भाव
मेहनत कर कमाने का |
मजदूर
भविष्य के बारे मे
अधिक नहीं सोचता |
वह
मेहनत करता है
कमाता है
सुख दुःख संग-संग जीता
आज और बस
कल के लिए|
मजदूर
नहीं करता पूजा प्रतिदिन
किसी भगवान की
कुछ पाने के लिए
वह करता है
धन्यवाद्
ईश्वर का
उसे काम देने के लिए|
मजदूर करता है पूजा
अपने इष्ट की
सम्पूर्ण समर्पित भाव से
वर्ष मे एक या दो बार
अवसर विशेष पर
और कर देता है
सब कुछ अर्पण
इष्ट देव के चरणों मे
आस्था के साथ
जो भी है उसके पास|
मजदूर
बहुत संतुष्ट होता है|
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800
बहुत अच्छी रचना...
ReplyDeleteगहन एवं सार्थक पंक्तियाँ..
अनु
anu ji , bahut bahut aabhar
Deleteसही कहा//
ReplyDeleteभावपूर्ण अभिव्यक्ति...
दो हाथ जग्गनाथ.
Deleteदो हाथ जग्गनाथ.
Deleteshukaria reena ji
Deletepradeep ji, bahut bahut dhanyawad
ReplyDeleteदो हाथ जग्गनाथ.
ReplyDeletedr urmila ji ,aapke sneh ke liye aabhari hun
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