फ़िक्र भी है ,तन्हाई भी है,
दीदार की दरकार भी है ।
तुझे चाहते रहे उम्र भर ,
तेरा इंतज़ार अब भी है ।
माना कि हो गया हूँ , बूढ़ा उम्र से,
तुम भी तो अब हसीं नहीं लगती हो ।
उम्र बढ़ी ज्यों-ज्यों,हसरत जवां हुई ,
तुम आज भी मुझे परी लगती हो ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800
दीदार की दरकार भी है ।
तुझे चाहते रहे उम्र भर ,
तेरा इंतज़ार अब भी है ।
माना कि हो गया हूँ , बूढ़ा उम्र से,
तुम भी तो अब हसीं नहीं लगती हो ।
उम्र बढ़ी ज्यों-ज्यों,हसरत जवां हुई ,
तुम आज भी मुझे परी लगती हो ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800
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