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Wednesday, January 30, 2013

fikra bhi hai ,tanhai bhi

फ़िक्र भी है ,तन्हाई भी है,
दीदार की दरकार भी है ।
तुझे चाहते रहे उम्र भर ,
तेरा इंतज़ार अब भी है ।

माना कि हो गया हूँ , बूढ़ा  उम्र से,
तुम भी तो अब हसीं नहीं लगती हो ।
उम्र बढ़ी ज्यों-ज्यों,हसरत जवां हुई ,
तुम आज भी मुझे परी लगती हो ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800

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