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Sunday, January 20, 2013

pyaar samajhaa tha..

झुकी नज़रों को तेरी, इकरार समझा था ,
खामोश लबों को मैं ,इसरार समझा था,
नहीं जानता था सबब इसके पीछे क्या था,
तेरे मुड़कर चले जाने को ,प्यार समझा था ।


डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800

3 comments:

  1. बहुत सुन्दर जज़्बात....
    बहुत प्यारी कविता.

    अनु

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  2. wahh...kya baat hai ...
    http://ehsaasmere.blogspot.in/

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