उसके चेहरे पर हुस्न का गुरुर भी था ,
आँखों में चंचल हिरनी सा शरूर भी था ।
मैं समझता रहा उसे नादाँ मगर ,
उसका दिल किसी की चाहत में मगरूर भी था ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800
आँखों में चंचल हिरनी सा शरूर भी था ।
मैं समझता रहा उसे नादाँ मगर ,
उसका दिल किसी की चाहत में मगरूर भी था ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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