जिस दिन सोचोगे जमाने की खातिर ,
लेखनी को तुम्हारी नयापन मिलेगा ।
जीने लगोगे जब वतन की खातिर ,
जिंदगी को भी नया मकसद मिलेगा ।
लगाकर तो देखो ,एक वृक्ष धरा पर ,
बसंती पवन का छुवन ,संग मिलेगा ।
इंसानियत की राह पर दो कदम रखो ,
वैचारिक उड़ान को गगन भी मिलेगा ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800
लेखनी को तुम्हारी नयापन मिलेगा ।
जीने लगोगे जब वतन की खातिर ,
जिंदगी को भी नया मकसद मिलेगा ।
लगाकर तो देखो ,एक वृक्ष धरा पर ,
बसंती पवन का छुवन ,संग मिलेगा ।
इंसानियत की राह पर दो कदम रखो ,
वैचारिक उड़ान को गगन भी मिलेगा ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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