रौशनी ....
जिस दिन मकां घर में बदल जाएगा ,
सारे शहर का मिजाज बदल जाएगा ।
जिस दिन चिराग गली में जल जाएगा ,
सारे गाँव का अन्धेरा छंट जाएगा ।
आने दो रोशनी तालीम की ,मेरी बस्ती में ,
देखना ,बस्ती का भी अंदाज़ बदल जाएगा ।
रहते हैं जो भाई चारे के साथ गरीबी में ,
खुदगर्जी का साया उन पर भी पड़ जाएगा ।
कर दो मुक्त आसमां को ,बाजों से ,
परिंदों को नया गगन नजर आयेगा ।
भूखे को दो एक निवाला रोटी का ,
गुलर में भी पकवान नजर आयेगा ।
दौलत की हबस का असर तो देखना,
तन्हाई का दायरा "कीर्ति"बढ़ता जाएगा ।
उड़ जायेगी नींद सियासतदानों की ,
जब आदमी मुकम्मल इंसान बन जाएगा ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800
जिस दिन मकां घर में बदल जाएगा ,
सारे शहर का मिजाज बदल जाएगा ।
जिस दिन चिराग गली में जल जाएगा ,
सारे गाँव का अन्धेरा छंट जाएगा ।
आने दो रोशनी तालीम की ,मेरी बस्ती में ,
देखना ,बस्ती का भी अंदाज़ बदल जाएगा ।
रहते हैं जो भाई चारे के साथ गरीबी में ,
खुदगर्जी का साया उन पर भी पड़ जाएगा ।
कर दो मुक्त आसमां को ,बाजों से ,
परिंदों को नया गगन नजर आयेगा ।
भूखे को दो एक निवाला रोटी का ,
गुलर में भी पकवान नजर आयेगा ।
दौलत की हबस का असर तो देखना,
तन्हाई का दायरा "कीर्ति"बढ़ता जाएगा ।
उड़ जायेगी नींद सियासतदानों की ,
जब आदमी मुकम्मल इंसान बन जाएगा ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800
No comments:
Post a Comment