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Saturday, February 9, 2013

makaan aur ghar

रौशनी ....
जिस दिन मकां घर में बदल जाएगा ,
सारे शहर का मिजाज बदल जाएगा ।

जिस दिन चिराग गली में जल जाएगा ,
सारे गाँव का अन्धेरा छंट जाएगा ।

आने दो रोशनी तालीम की ,मेरी बस्ती में ,
देखना ,बस्ती का भी अंदाज़ बदल जाएगा ।

रहते हैं जो भाई चारे के साथ गरीबी में ,
खुदगर्जी का साया उन पर भी पड़ जाएगा ।

कर दो मुक्त आसमां को ,बाजों से ,
परिंदों को नया गगन नजर आयेगा ।

भूखे को दो एक निवाला रोटी का ,
गुलर में भी पकवान नजर आयेगा ।

दौलत की हबस का असर तो देखना,
तन्हाई का दायरा "कीर्ति"बढ़ता जाएगा ।

उड़ जायेगी नींद सियासतदानों की ,
जब आदमी मुकम्मल इंसान बन जाएगा ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800

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