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Thursday, February 7, 2013

geet kaa janm

गीत का जन्म ....

अकुलित हो रहा , गर्भ में कोई गीत है ,
अंग करते हैं किलोल ,गर्भ में कोई गीत है ।

मन प्रफुलित हो रहा ,गर्भ में कोई गीत है ,
प्रसव का हो गया समय,गर्भ में कोई गीत है ।

वेदना प्रसव की मुख पर है छाई हुई ,
मन हिलोरें ले रहा ,जन्मता कोई गीत है ।

नौ माह कोख में अपने ,माँ ने बालक को रखा ,
नौ पल मैंने भी अपने , गीत को मन में रखा ।

वेदना व सुख का अनुभव ,हर पल मैंने किया ,
गीत मेरा जन्म ले ले ,यह  प्रार्थना मैंने किया ।

सलोना हो रूप उसका ,जैसे बाल कृष्ण का ,
कल्पना में रूप उसका ,यही मैंने धारण किया ।

वेदना व सुख के ,मिले जुले अहसास से
प्रसव मेरे गीत का ,कुशलता से हो गया ।

सुन्दर था रूप उसका , सलोनी सी काया,
मित्र-बंधू बांधवों का ,प्यार उसने पाया ।

गीता का सन्देश "कर्म ",सारे जग में फैलाया ,
जन्म हुआ सार्थक उसका, मन मेरा इठलाया ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800

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