Pages

Followers

Wednesday, February 6, 2013

santosh kaa jaap kar

संतोष  ....

नीर को धीर कहाँ,चीर संग चाहिए,
मन भी अधीर यहाँ ,ज्ञानी संग चाहिए ।

जीवन की नैया ,बीच मझधार है ,
किसी खिवैया का,संग साथ चाहिए ।

संतोष का जाप कर ,अधीरता मिटाइए ,
अहंकार को दूर भगा ,विनम्रता अपनाइये ।

राम नाम सबसे बड़ा ,उसी को गाइये ,
सारे संकटों को छोड़, पार उतर जाइये ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800

No comments:

Post a Comment