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Wednesday, February 20, 2013

kyun hai?

तेरे चेहरे पर उदासी का मंजर क्यूँ है ,
तुझे देख हर शख्स परेशां  सा क्यूँ है ?

देखे थे हसीं ख्वाब तेरी आँखों में हरदम,
इन झील सी आँखों में सूनापन क्यूँ है ?

मचलते थे जिस दिल में मोहब्बत के तराने,
आज वह दिल गमगीन औ' उदास सा क्यूँ है ?

चलती थी लहराती तू सदा हिरनी की तरह ,
तेरी चाल में अब यह ठहरापन सा क्यूँ है ?

लहराती थी तेरी जुल्फें घने मेघों की तरह ,
केशुओं का उपवन उजड़ा-उजड़ा सा क्यूँ है ?

माना की दिल तोड़ कर चला गया वो जालिम ,
तेरी निगाहें उस बेवफा के राहें कदम क्यूँ है ?

चाहता है कोई तुझे अपनी जाँ से ज्यादा ,
उसे आजमाने में तुझे दिक्कत क्यूँ है ?

मैं चाहता हूँ तुझे अपनी जान से ज्यादा ,
आज़मा कर तो देख,मेरी वफ़ा पर शक क्यूँ है ?

डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800

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