पहचान हो गए है .....
गरीबी में रिश्ते,झरोखे से हो गए हैं ,
बाहर सख्त अन्दर से पोपले हो गए हैं ।
थे संगी साथी जो मेरे ,अमीरी के दौर में ,
निकलते नजरें छुपाके ,बेगाने हो गए हैं ।
कल ही देखा अजीब सा मंजर .शीशे के सामने ,
मेरे अपने चेहरे भी ,मुझसे अनजाने हो गए हैं ।
था जिनको नाज कलतक,मेरी क़ाबलियत पर ,
बात-बात में ताने सुनाने को ,तैयार हो गए हैं ।
जानता हूँ कल आयेगा ,फिर वक़्त मेरा ,
बिगड़े हुए हालात,दोस्तों की पहचान हो गए हैं ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800
गरीबी में रिश्ते,झरोखे से हो गए हैं ,
बाहर सख्त अन्दर से पोपले हो गए हैं ।
थे संगी साथी जो मेरे ,अमीरी के दौर में ,
निकलते नजरें छुपाके ,बेगाने हो गए हैं ।
कल ही देखा अजीब सा मंजर .शीशे के सामने ,
मेरे अपने चेहरे भी ,मुझसे अनजाने हो गए हैं ।
था जिनको नाज कलतक,मेरी क़ाबलियत पर ,
बात-बात में ताने सुनाने को ,तैयार हो गए हैं ।
जानता हूँ कल आयेगा ,फिर वक़्त मेरा ,
बिगड़े हुए हालात,दोस्तों की पहचान हो गए हैं ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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