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Thursday, March 7, 2013

aadhunik maa

वर्तमान माँ का दौर।।।।

वो दौर कुछ और था जब माँ की गोद था ,
सुनते ही आवाज़ वो दौड़ी चली आती थी ।

लग गई चोट यदि कहीं मेरे पाँव में ,
आंसू की धार माँ की आँख से आती थी ।

जागने पर मेरे रात में ,वो खुद जाग जाती थी ,
गीले में खुद सोती ,मुझे सूखे में सुलाती थी ।

आज के दौर की यारों,बात कुछ और है ,
माँ के लिए मैं नहीं ,ख़ास कुछ और है ।

उठाती नहीं माँ आजकल , गोद में बच्चा ,
कपडे खराब हो जायेंगे,यह उसकी सोच है ।

तडफता है बच्चा गर दर्द और चोट से कहीं,
भेजती है डॉक्टर के,प्यार से हाथ रखती नहीं।

लगता है डर उसे छुआछुत और संक्रमण का ,
छोड़ती नहीं देखभाल को ,नौकरों की कमी ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800

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