आस
सूखे पत्ते का गिरना डाल से ,नए की आस देता है ,
पतझड़ का महीना,बसंत का आगाज़ देता है ।
होता है कोई कोई खुदगर्ज़ ,नाशुक्रा जमाने में ,
मतलब निकल गया तो भुला देता है ।
देखें हैं इंसान भी हमने,राहे जिंदगी में,
मानवता की राह पे ,जो जान लुटा देता है ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800
सूखे पत्ते का गिरना डाल से ,नए की आस देता है ,
पतझड़ का महीना,बसंत का आगाज़ देता है ।
होता है कोई कोई खुदगर्ज़ ,नाशुक्रा जमाने में ,
मतलब निकल गया तो भुला देता है ।
देखें हैं इंसान भी हमने,राहे जिंदगी में,
मानवता की राह पे ,जो जान लुटा देता है ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800
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