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Friday, March 1, 2013

aavaragi nahi diwaana pan

तेरी आवारगी नहीं ,वह दीवानापन था ,
तेरी सादगी में उलझा मेरा तन-मन था ।
चाहा तुझे हरदम ,अपनी साँसों से ज्यादा ,
मेरी मुस्कराहट,उसी चाहत का दर्पण था ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800

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