सागर में उतर कर ऐ नदिया! क्या पाओगी
मीठा पानी है तुम्हारा ,खारी बन जाओगी ।
नहीं बुझा सकोगी प्यास ,किसी प्यासे की ,
अपनी ही घुटन में घुट कर मर जाओगी ।
तुम किसी की बनना ,ना बनना,निर्भर तुम पर ,
नफरत दिल में उगाओगी ,खुद जल जाओगी ।
बदरिया बनकर बरसो, जहां भी चाहो तुम ,
बूँद बन सीप में गिरोगी तो मोती बन जाओगी ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800
मीठा पानी है तुम्हारा ,खारी बन जाओगी ।
नहीं बुझा सकोगी प्यास ,किसी प्यासे की ,
अपनी ही घुटन में घुट कर मर जाओगी ।
तुम किसी की बनना ,ना बनना,निर्भर तुम पर ,
नफरत दिल में उगाओगी ,खुद जल जाओगी ।
बदरिया बनकर बरसो, जहां भी चाहो तुम ,
बूँद बन सीप में गिरोगी तो मोती बन जाओगी ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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