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Sunday, March 3, 2013

sazaa

खता ऐ इश्क की सज़ा ,सदा ही मुकम्मल रही,
परवाने जलाते रहे ,शमा सदा रोशन ही रही ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800

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