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Friday, April 19, 2013

vaishy bandhu

वैश्य बंधू

वैश्य बन्धुवों इस धरती पर ,फिर से स्वर्ग बनाओ ,
ऊँच नीच को जड़ से मिटाकर ,आज गले से मिल जाओ ।

दया धर्म की बातें हमको ,पुरखों ने सिखलाई  ,
मंदिर,धर्मशाला,प्याऊ पोखर,फिर से तुम बनवाओ ।

समाजवाद की बातें जग को ,अग्रसेन ने सिखलाई ,
एक रुपैया ,एक ईंट दे, फिर सशक्त समाज बनाओ ।

शिक्षा दान है महादान ,ऋषि-मुनियों ने बतलाया ,
शिक्षित हो भारत की नारी ,शिक्षा के दीप जलाओ ।

दहेज़-गरीबी , भ्रूण ह्त्या, दुश्मन मानवता के ,
सभी बुराई जड़ से मिटाकर , पुरखों का मान बढाओ ।

बीस नियमों का निर्धारण , ऋषि तुल्य अग्र  बनाए ,
इन नियमों का पालन कर तुम ,अग्रसेन से बन जाओ ।

गाय हमारी माता है ,  और महालक्ष्मी है कुल देवी ,
व्यापार कर्म में नैतिकता  ,कुलदेवी की कृपा पाओ ।

नशा ,जुआ और व्यभिचार ,घर का नाश कराते ,
इनसे बचना ,यह मूलमंत्र  ,बच्चों को सिखलाओ ।

गर्व करो हम अग्रवंशी हैं ,सात्विक अपना जीवन ,
मांसाहार रोगों की जड़ है ,शाकाहारी बन जाओ ।

व्यापार में खेती भी तो ,अपना कर्म कहलाया ,
दुश्मन सर पर आता दिखे,खड्ग -तलवार उठाओ ।

राष्ट्र धर्म है सबसे पहले ,अपना सर्वस्व लुटाओ ,
राष्ट्र प्रेम में वारि सब कुछ ,भामाशाह बन जाओ ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन
8 2 6 5 8 2 1 8 0 0


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