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Saturday, May 18, 2013

face book par chori

दोस्तों , अब तो लगता है की फेस बुक साहित्य चोरों के लिए आरामगाह बन गई है ।  जिसे देखो किसी की भी रचना अपने नाम से लिख दी , बेचारा कवि / लेखक / रचनाकार ,अपना दिमाग खराब करता रहता है और यह कमीने रचना चोर बिना कोई मेहनत  किये अपने दोस्तों में अपनी शान बघारते घुमते हैं ।
आज फिर एक ऐसे ही बंधू से सामना हुआ यहाँ , भगवन से प्रार्थना करता हूँ इन सभी साहित्य चोरों को सद बुद्धि प्रदान करे ।


बन गया कलमकार  चोर ,जमाने की निगाहों में ,
जब से सुनाया मेरा किस्सा ,बताकर उसने अपना ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800

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