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Monday, June 17, 2013

amavasyaa ke lilane se

अमावस्या के लीलने से ,चाँद नहीं मिटता ,
एक रोज का अन्धेरा , फिर से है चमकता ।
कौन मिटा पाया सूरज की भी अहमियत
 ढल कर भी दुनिया को आराम करा देता ।

वादा है मेरा दोस्त , यह तुमको बताता हूँ ,
असआरों से अपने ,दुनिया को जगाता हूँ ।
अच्छे को बुरा कहना दुनिया की रिवायत है ,
मैं कातिल को भी , इंसान बना देता हूँ ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

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