बन्दिशों में रहने की मेरी आदत नहीं है ,
तनहा सफ़र कटे ,मेरी चाहत नहीं है ।
चाहता हूँ उड़ना गगन में ,परिंदों की तरह ,
सोने के पिंजरे में रहना ,नजाकत नहीं है ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
तनहा सफ़र कटे ,मेरी चाहत नहीं है ।
चाहता हूँ उड़ना गगन में ,परिंदों की तरह ,
सोने के पिंजरे में रहना ,नजाकत नहीं है ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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